शनिवार, 8 जनवरी 2011

मेरी जिम कार्बेट पार्क यात्रा

           मैने मेरे दोस्तों के साथ एक दिन जिम कार्बेट पार्क जानें का कार्यक्रम तैयार किया । हमें कुछ विदेशी महमानों के साथ सुबह को निकलना था किन्तु शाम को ही मेरी माता की त‍‍‍‍‍‍बियत अचानक खराब हो गयी । मैने जाने का कार्यक्रम रद्द करने का निश्चय किया किन्तु मेरे दोस्तों ने मेरा साथ दिया हम मॉं को  डाक्‍टर के पास लेकर गये  तथा अगले दिन शाम को उनकी तबियत ठीक हो जाने के पश्‍चात  जानें का निश्चय किया । अब हम अगले दिन शाम को चले तब तक मेरी माता की त‍बियत भी ठीक हो गयी थी ।
           हम शाम को ७ बज कर ३० मिनट पर रामनगर पहुंचे तथा एक होटल में रूके । सुबह होने पर हमें ५ बज कर ३० मिनट पर होटल से निकलना ‍था तथा सुबह ६ बजे पा‍र्क में प्रवेश करना था किन्तु हमें रजिस्ट्रेशन कराने में देर हो जानें के कारण हम सुबह को पार्क में प्रवेश नही कर पाये चुंक‍ि एक दिन में केवल दो ही बार हम पार्क में प्रवेश कर सकते हैं । इसीलिए हमनें दोपहर को ही पार्क में प्रवेश ‍करने निश्चय किया ।चूंकि अभी हमारे पास पर्याप्त समय था इसलिए हमनें सुबह नास्ता लिया और गिरीजा माता के मंदिर में जाने का निश्चय किया । अब हम लगभग ११ बजे गिरीजा माता के दरबार में थे । वास्तव में क्या शान है  माता की । माता रानी का मंदिर नदी के बीचों बीच शदियों से खडा है  । माता रानी के दर्शनों के बाद अब हम वापिस पार्क के दरवाजे पर थे । अब हम दोपहर १ बजे अपनी शफारी के साथ पार्क में प्रवेश करने के लिए प्रवेश परिचय देकर अन्दर प्रवेश कर गये । अब हमनें पार्क के अन्दर की दॄश्य मनोहारीता को संग्रहीत करने के लिए अपने कैमरे निकाले तथा वहां के दॄश्यों को संग्रहीत करना शुरू कर दिया                   
                        अब हम सभी वहां पर बाघ को खोजते रहे सभी ने अपनी अपनी सफारी बाघ को खोजने के लिए लगा रखी ‍थी । सभी ने बाघ को खोजने के लिए अपने पूरे यत्न किये किन्तु बाघ के कहीं दर्शन आसानी से हो जायें यह सम्भव कहां । कोइ उसको झरनों में खोजता तो कोइ ऊपर टॉवर पर । अब जब सभी का धैर्य समाप्त होने वाला था तभी बाघ महाराज झाडियों के पीछे आराम फरमाते हुए दिखाइ दिये । अब क्या था सभी ने अपने अपने कैमरे निकाले और बाघ को कैमरों में कैद करना शुरू कर दिया । अब सभी के चेहरों पर एक अजीब सी खुशी छलक रही थी सभी को देखकर लग रहा ‍था कि क्या पा लिया इन सभी ने ।
                  बाघ को देखने के पश्चात हम पार्क में सि्थत रिफ्रेस सेन्टर पर इकटठे हुए और अपने अपने अनुभवों को आपस में बांटना शुरू कर दिया सभी के चेहरों पर एक खुशी का एहसास था । सभी ने उस एक पल का एहसास अपने जिन्दगी के एक यादगार पल के रूप में सन्ग्रहीत कर लिया ।
                 अपने विदेशी मेहमानों के साथ ये यात्रा बहुत ही खुशनुमा एहसास दिलाने वाली रही ।

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